D2M तकनीक इंटरनेट डेटा का उपयोग किए बिना वीडियो और अन्य मल्टीमीडिया सामग्री को सीधे मोबाइल फोन पर प्रसारित करने का एक नया तरीका है। यह डब्ल्यू का उपयोग करके ब्रॉडबैंड और प्रसारण के अभिसरण पर आधारित है
आपके मोबाइल में जैसे FM रेडियो काम करता है D2H भी उसी से मिलती – जुलती तकनीक है, फ़ोन में लगा रिसीवर FM रेडियो फ्रीक्वेंसी को पकड़ता है और उसे रेडियो सिग्नल से डिजिटल सिग्नल के फॉर्म में और फिर ऑडियो में कन्वर्ट कर देता है और आप कहीं भी बैठे – बैठे या चलते हुए FM रेडियो का आनंद लेते हैं।
D2M तकनीक के देश में लागु हो जाने के बाद लोग बिना इंटरनेट डाटा का प्रयोग किये भी वीडियो और अन्य मल्टीमीडिया सामग्री अपने मोबाइल पर देख सकेगें।
D2M ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट का एक कॉम्बिनेशन है, जिसके प्रयोग से मोबाइल फ़ोन टेरिस्ट्रियल डिजिटल टीवी सिनल को पकड़ सकता है।
D2M का सबसे ज़्यादा फ़ायदा उन उपभोगता को होगा, जिन इलाकों में इंटरनेट की पहुंच नहीं है या लिमिटेड पहुंच है वहाँ यह मल्टीमीडिया कंटेंट प्राप्त करने में यह बहुत सहायक होगी।
DOT ने D2M को धरातल पे लाने के लिए स्पेक्ट्रम बैंड 526 – 582 मेगाहर्ट्ज का प्रयोग मोबाइल और ब्रॉडकास्ट सर्विसेज में समन्वय स्थापित करने के लिए रखा है। फ़िलहाल इस बैंड का प्रयोग सुचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा टीवी ट्रांसमिशन के लिए किया जा रहा है।
D2M का एक और फ़ायदा यह है कि बहुत से सोशल मीडिया एप्प्स जैसे की Facebook, Twitter, Whatsapp, Instagram आदि सब इंटरनेट से चलते है जिससे बहुत सारी फेक न्यूज़ भी प्रसारित होती है।
D2M से टेलीकॉम प्रोवाइडर्स को भी फ़ायदा होगा, जो D2M टेक्नोलॉजी से वीडियो ट्रैफिक को अपने मोबाइल नेटवर्क से ब्रॉडबैंड नेटवर्क पर अपलोड कर सकते हैं। इससे उन्हें कीमती मोबाइल स्पेक्ट्रम को बचाने में मदद मिलेगी।
“D2M से ब्रॉडकास्टर्स को बड़ा फायदा होगा और उन्हें नए ऑडियंस और कस्टमर्स मिलेंगे” अभी भी देश में ब्राडकास्टिंग के कंस्यूमर्स की संख्या केवल 20 से 21 करोड़ घरों तक ही सिमित है और जिनके पास टेलीविज़न है। जो की भविष्य में बढ़ कर 100 करोड़ हो जाएगी।
D2M टेक्नोलॉजी ठीक उसी तरह काम करेगी जैसे अभी D2H (Direct To Home) काम कर रहा है यानि की यह टेक्नोलॉजी भी Satellite के माध्यम से ही काम करेगी तभी तो यह दूर – दराज़ के इलाकों जंगल – पहाड़ों सभी जग़ह काम करेगी।