Deepfake: डीपफेक कृत्रिम बुद्धिमत्ता Artificial Intelligence(AI) का एक रूप है जिसके मदद से किसी व्यक्ति का नकली फोटो या वीडियो बनाया जा सकता है। इस तरह के वीडियो या फोटो में किसी और के वीडियो में किसी और व्यक्ति के आवाज़, फोटो या वीडियो का इस्तेमाल कर के बिलकुल एक असली सी वीडियो तैयार की जा सकती है। ये वीडियो इतने वास्तविक होते हैं की इसमें असली और नकली का फ़र्क करना मुश्किल होता है जो की बहुत ख़तरनाक है। डीपफेक वीडियो(Deepfake video) को बनाने के लिए एक विशेष प्रकार के कम्प्यूटर तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जिसे डीप लर्निंग(Deep Learning) कहा जाता है। इस लेख में हम जानेंगे की डीपफेक क्या है और इसके द्वारा होने वाले अपराधों से कैसे बचा जा सकता है?
डीपफेक क्या है?
- डीपफेक तकनीक किसी व्यक्ति को ऐसे फ़ोटो या वीडियो में डाल देता है जिसमें की वो वास्तविकता में था ही नहीं या उसने कभी उसमें भाग ही नहीं लिया। लेकिन यह तकनीक इतनी सटीकता से काम करता है की वास्तविक और नकली वीडियो में अंतर करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
- डीपफेक जैसी क्षमताएं मानव इतिहास में दसकों से मौज़ूद हैं, लकिन पहले ऐसे प्रभाव पैदा करने के लिए विशेष स्टूडियो और विशेषज्ञों की आवश्यकता होती थी। परन्तु अब, नए स्वचालित कंप्यूटर ग्राफिक्स और मशीन लर्निंग सिस्टम के लिए डीपफेक को अधिक तेज़ी से प्रोसेस करना बहुत ही आसान है।
डीपफेक कैसे बनाये जाते हैं?
- मशीन लर्निंग: डीपफेक का मुख्य घटक मशीन लर्निंग है। डीपफेक निर्माता किसी व्यक्ति के कई घंटों के वास्तविक वीडियो फ़ुटेज से एक न्यूरल नेटवर्क को प्रशिक्षित करते हैं। यह नेटवर्क को यह समझने के लिए प्रशिक्षित करता है कि व्यक्ति विभिन्न कोणों से और विभिन्न प्रकाश स्थितियों के तहत कैसा दिखता है। उसके चेहरे, चमड़ी का रंग शरीर की बनावट जैसी बारीक़ से बारीक़ जानकारियों को इस सिस्टम में डाला जाता है। व्यक्ति के आवाज की फ्रीक्वेंसी बोलने के लहज़े आदि के बारे में सिस्टम को अच्छे से ट्रेन किया जाता है। जिसका नतीज़ा डीपफेक जैसी वीडियो है।
- संयोजन तकनीक: निर्माता फिर प्रशिक्षित नेटवर्क को कंप्यूटर ग्राफिक्स तकनीकों के साथ जोड़ते हैं। वे एक अलग अभिनेता या दृश्य पर व्यक्ति की एक प्रति लगा देते हैं।
- मैन्युअल ट्विकिंग: AI डीपफेक के निर्माण में सहायक है, फिर भी निर्माता छवि में स्पष्ट क्लिप्स और कलाकृतियों से बनाने के लिए मापदंडों के अनुसार मैन्युअल रूप से ट्विक करते हैं जिससे की वीडियो या इमेज की क्वालिटी और भी ज़्यादा अच्छी और वास्तविक हो जाती है।
- जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क (GNN): ये डीप-लर्निंग एल्गोरिदम डीपफेक डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डीपफेक के उपयोग
(Uses of Deepfake)
उपयोग (Usage) | विवरण (Details) |
---|---|
मनोरंजन (Entertainment) | फिल्मों और गेम्स में नकली चेहरे और आवाज का उपयोग। |
शिक्षा (Education) | ऐतिहासिक व्यक्तित्व के नकली वीडियो बनाकर शिक्षण में मदद। |
मार्केटिंग (Marketing) | उत्पाद प्रचार में वर्चुअल ब्रांड एंबेसडर का निर्माण। |
डीपफेक के खतरे
(Dangers of Deepfake)
खतरा (Threat) | विवरण (Details) |
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फर्जी खबरें (Fake News) | डीपफेक का उपयोग गलत सूचनाएँ फैलाने में किया जा सकता है। |
ब्लैकमेलिंग (Blackmailing) | किसी व्यक्ति की नकली वीडियो या ऑडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल करना। |
साइबर बुलिंग (Cyber Bullying) | नकली सामग्री बनाकर दूसरों को बदनाम करना। |
डीपफेक से बचाव के उपाय
(How to Protect Against Deepfake)
उपाय (Solution) | विवरण (Details) |
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तथ्यों की जांच करें (Fact-Check) | किसी भी संदिग्ध वीडियो या ऑडियो की सत्यता की जांच करें। |
AI आधारित टूल्स (AI Tools) | डीपफेक का पता लगाने वाले टूल्स का उपयोग करें। |
जागरूकता बढ़ाएं (Increase Awareness) | लोगों को डीपफेक के खतरों के बारे में शिक्षित करें। |
1. डीपफेक क्या है?
डीपफेक एक तकनीक है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करके नकली वीडियो, ऑडियो और छवियां बनाती है। इसमें असली और नकली में अंतर करना मुश्किल हो सकता है।
2. डीपफेक कैसे काम करता है?
डीपफेक तकनीक में जेनरेटिव एडवर्सेरियल नेटवर्क्स (GANs) का उपयोग होता है। यह दो AI मॉडल – जेनरेटर और डिस्क्रिमिनेटर – के बीच प्रतिस्पर्धा पर आधारित है, जिससे नकली डेटा अधिक परिष्कृत हो जाता है।
3. डीपफेक का उपयोग कहां किया जाता है?
* मनोरंजन: फिल्मों और गेम्स में नकली चेहरों और आवाजों के लिए।
* शिक्षा: ऐतिहासिक या शैक्षणिक वीडियो बनाने के लिए।
* विज्ञापन: मार्केटिंग और ब्रांड प्रचार में।
4. डीपफेक के खतरे क्या हैं?
* फर्जी खबरों का प्रसार।
* ब्लैकमेलिंग के लिए नकली वीडियो या ऑडियो का उपयोग।
* साइबर बुलिंग और बदनामी फैलाना।
5. डीपफेक का पता कैसे लगाएं?
* संदिग्ध वीडियो और ऑडियो की तथ्य-जांच करें।
* डीपफेक डिटेक्शन टूल्स का उपयोग करें, जैसे Deepware Scanner।
* वीडियो में झपकते हुए आँखों की गति और अन्य असमानताओं को देखें।
6. डीपफेक से कैसे बचा जा सकता है?
* संदिग्ध सामग्री साझा करने से पहले उसकी पुष्टि करें।
* सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत डेटा को सावधानी से साझा करें।
* तकनीकी उपकरणों और जागरूकता के माध्यम से इसकी पहचान और रोकथाम करें।
7. क्या डीपफेक कानूनन प्रतिबंधित है?
कई देशों में डीपफेक के दुरुपयोग के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं। भारत में भी आईटी एक्ट और साइबर सुरक्षा कानून इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए हैं।
8. डीपफेक तकनीक को कौन विकसित करता है?
डीपफेक तकनीक को मुख्यतः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) विशेषज्ञ विकसित करते हैं। यह टेक्नोलॉजी शोध और मनोरंजन उद्देश्यों के लिए बनाई गई थी, लेकिन इसका दुरुपयोग भी होने लगा।
9. क्या डीपफेक को पूरी तरह से रोका जा सकता है?
डीपफेक को पूरी तरह से रोकना मुश्किल है, लेकिन इसके दुरुपयोग को तकनीकी उपकरणों, कानूनी कार्रवाइयों और जागरूकता बढ़ाकर सीमित किया जा सकता है।
10. डीपफेक का भविष्य क्या है?
डीपफेक तकनीक का उपयोग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। यदि इसे सही तरीके से नियंत्रित किया जाए, तो यह शिक्षा, मनोरंजन और शोध के लिए उपयोगी हो सकती है।
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